अलीगढ़ 19फरवरी2020
यूपी सरकार द्वारा यूपी विधानसभा में 5 लाख करोड़ से अधिक धनराशि के बजट पर जारी पक्ष-विपक्ष के बीच बहस में उत्तर प्रदेश के 34 लाख से ऊपर रोजगार परक पाठ्यक्रमों की उपाधियां प्राप्त एवं भविष्य में प्रतिवर्ष 2 - 4 लाख की और बढ़ोतरी की संभावनाओं के चलते शिक्षित बेरोजगारों की इस बड़ी समस्या के ज्वलंत प्रश्न के निराकरण की ओर पक्ष एवं विपक्ष दलों द्वारा चुप्पी साधे जाने पर औटा के पूर्व अध्यक्ष डॉ रक्षपाल सिंह ने गहरा अफसोस व्यक्त किया है। डॉ सिंह ने कहा है कि रोजगार परक डिग्रियां प्राप्त करने में प्रति डिग्री धारक 2 से 4 लाख खर्च करने के बाद रोजगार ना मिलना उनके लिए तकलीफदेह होता है जिसका कारण तलाशने की कोशिश प्रदेश में सत्ता में रह चुकी किसी भी सरकार ने नहीं की।
डॉ सिंह ने स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश में स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालयों , एनआईटी ,आईआईटी एवं लगभग 25% स्ववित्तपोषित शिक्षण संस्थान जिसमें गुणवत्ता परक शिक्षा प्रदान किए जाने की व्यवस्था है वहां से प्रोफेशनल डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्त करने में कोई समस्या नहीं आती, लेकिन शेष शिक्षण संस्थानों जिनमें प्रवेश के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षाओं में 33% ही नहीं बल्कि शून्य के आसपास अंक पाने वाले भी प्रवेश पाते हो तो ऐसे शिक्षण संस्थानों से डिग्रियां प्राप्त डिग्रीधारी बेरोजगारों की संख्या ही बढ़ा सकेंगे. आवश्यकता इस बात की है कि प्रत्येक रोजगारपरक पाठ्यक्रम हेतु उनकी प्रवेश परीक्षाओं में न्यूनतम 40% कट ऑफ मार्क्स की शर्त रखी जानी चाहिए।