देश में फैले हर आतंकी नेटवर्क से जुड़े जलीस अंसारी उर्फ डॉ. बम ने ही देश में दहशत फैलाने के मकसद से बम विस्फोटों की शुरुआत की थी। सुरक्षा एजेंसियों ने भी इस बात की पुष्टि की है। साल 1988 में उसने पहली बार मुंबई में ट्रायल ब्लास्ट किया था, जिसमें उसका हाथ जल गया था।
इसके बाद साल 1994 तक वह देश में लगातार बम विस्फोटों को अंजाम देता रहा। आतंकी गतिविधियों में शामिल होने से पहले वह मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान और दाउद इब्राहिम से भी जुड़ा रहा। कई वारदातें उसने बुरका पहनकर कीं। साल 1990 के पहले जलीस मुंबई अंडरवर्ल्ड के अलग-अलग गुटों को आपस में लड़ाता रहता था। बाद में वारदातों को अंजाम देने के लिए उसने मुंबई अंडरवर्ल्ड का भी इस्तेमाल किया।
इसके बाद साल 1994 तक वह देश में लगातार बम विस्फोटों को अंजाम देता रहा। आतंकी गतिविधियों में शामिल होने से पहले वह मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान और दाउद इब्राहिम से भी जुड़ा रहा। कई वारदातें उसने बुरका पहनकर कीं। साल 1990 के पहले जलीस मुंबई अंडरवर्ल्ड के अलग-अलग गुटों को आपस में लड़ाता रहता था। बाद में वारदातों को अंजाम देने के लिए उसने मुंबई अंडरवर्ल्ड का भी इस्तेमाल किया।
पूछताछ में जलीस ने एटीएस को बताया है कि 90 के दशक में आतंकवाद में कदम रखा। इस सिलसिले में पहली मुलाकात हैदराबाद के आजम गौरी से हुई, जो कुछ साल पहले एनकाउंटर में मार दिया गया। आजम ने उसे पिलखुआ के अब्दुल करीम टुंडा से मिलवाया। टुंडा बड़े बम बनाने का मास्टर था। जलीस ने यह भी बताया है कि इसके बाद वह पाकिस्तान भाग गया और वहां बम बनाने की आधुनिक विधियां सीखीं।
पूछताछ में जलीस ने बताया है कि 1989 में मुंबई के सिखों ने शिवसेना का विरोध शुरू कर दिया था। आए दिन बवाल हो रहे थे। मौके का फायदा उठाकर सिखों को पूरी तरह से शिवसेना के विरोध में खड़ा करने की साजिश रची और गुरुद्वारों में बम रख दिए। बम रखने की सूचना भी पुलिस तक पहुंचवाई और इसे शिवसेना का कारनामा बताकर बवाल भड़का दिया था।
एटीएस को जलीस ने यह भी बताया है कि 1992 में मुंबई के एक इलाके में उसने बुरका पहनकर पुलिस की जीप में बम रखा था। इस ब्लास्ट में पांच पुलिसवाले घायल हुए थे। उसके बाद यह तरीका उसने कई वारदातों में अपनाया। 1994 में दिल्ली से गिरफ्तार होने से पहले जितने विस्फोट किए, उनमें से दस वारदातों में बुरका पहना था।