संविदा भर्तियों पर रोक, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा- नियमित रूप से क्यों नहीं भरे जा रहे पद


,लखनऊ 
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने संविदा कर्मियों से सरकारी काम चलाने का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है। अदालत ने सरकार को हफ्ते भर में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि स्वीकृत पदों को नियमित रूप से क्यों नहीं भरा जा रहा है? अदालत ने सरकार का जवाब आने तक स्वीकृत पदों पर संविदा कर्मियों को उपलब्ध कराने वाले सेवा प्रदाता को आबद्ध (अटैच) करने पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सेवा प्रदाता मेसर्स आरएमएस टेक्नो सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर दिया। इसमें याची ने बीते 25 अक्तूबर के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें सेवा प्रदाता के रूप में बगैर कारण बताए उसका पंजीकरण रद्द कर दिया गया था।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने तर्क दिया कि न सिर्फ याची का, बल्कि ऐसे सभी सेवा प्रदाताओं का पंजीकरण निरस्त किया गया है जिससे सेवा प्रदाताओं के जरिये लोगों को लेने के लिए साफ -सुथरी नीति बनाई जा सके।
इस पर याची के वकील ने उन पदों का ब्योरा पेश किया जिन पर संविदा कर्मियों की सेवा ली जाती है।
उन्होंने कहा कि यह स्वीकृत पदों को भरने के नियमों के खिलाफ है। याची के वकील ने अदालत से एक नजीर के तहत तदर्थ भर्ती का चलन खत्म कराने का आग्रह किया। कोर्ट ने कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस व्यवस्था पर टिप्पणी की है कि संविदा कर्मियों के जरिए सरकार नहीं चलनी चाहिए। कोर्ट ने अगली सुनवाई 27 नवंबर को नियत की है।