कोर्ट ने कहा- गांव सभा को सार्वजनिक भूमि का पट्टा देने का हक नहीं, निर्माण अवैध

*जौनपुर में चारागाह भूमि पर बने स्कूल को हटाने का निर्देश


प्रयागराज- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर, शाहगंज के गोल्हागौर गांव की चारागाह व पेड़ लगाने के लिए संरक्षित भूमि को स्कूल को देने को अवैध माना है और बाबा सुख्खू मां प्रभुदेवी इंटर कॉलेज की बेदखली के खिलाफ तहसीलदार के आदेश की चुनौती याचिका पर कोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। साथ ही बेदखली आदेश को चार हफ्ते में अमल में लाने का निर्देश दिया है।


यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने दिया है। याचिका पर अधिवक्ता ए.के. यादव ने प्रतिवाद किया। मालूम हो कि 16 अगस्त 1996 को गांवसभा ने दो प्लॉटों का स्कूल बनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया। दोनों भूमि चारागाह व वृक्षारोपण के लिए गांव सभा के पक्ष में संरक्षित थी। एसडीएम ने प्रस्ताव का अनुमोदन नहीं किया। स्कूल ग्राम प्रधान का ही है। स्कूल में 600 बच्चे पढ़ रहे है। तहसीलदार ने 16 अप्रैल 18 को स्कूल की भूमि से कब्जा हटाने का आदेश दिया जिसे चुनौती दी गयी थी।


कोर्ट ने कहा सार्वजनिक भूमि को प्राइवेट स्कूल को देने का ग्राम सभा को अधिकार नहीं है। ग्रामप्रधान बहादुर यादव की भूमि हड़पने की कार्यवाही दुर्भावनापूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि गांव सभा अपनी भूमि किसी को दान में नही दे सकती। केवल कृषि भूमि का पट्टा कर सकती है। इसलिए स्कूल अनाधिकृत है।एसडीओ ने याची के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। वैसे भी याची के पास बदले में देने के लिए पर्याप्त भूमिधरी भूमि नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में भी राहत देने से इनकार कर दिया और सार्वजनिक भूमि पर बने स्कूल को हटाने के आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया है।