कर्तव्यविहीन अधिकार से पैदा होती है निरंकुशता-राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

संविधान दिवस के मौके पर सदन के विशेष सत्र में विधायकों को संबोधित करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कर्तव्यविहीन अधिकार निरंकुशता को जन्म देते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें कि संवैधानिक चेतना का प्रसार हो।


लखनऊ
संविधान दिवस पर मंगलवार को आयोजित विधानमंडल के विशेष सत्र में अभिभाषण के दौरान राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने अधिकार के साथ कर्तव्यों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कर्तव्यविहीन अधिकार निरंकुशता को जन्म देते हैं। राज्यपाल ने अभिभाषण में विधायकों को भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि वे अपने सामाजिक जीवन में ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें, जिनसे नागरिकों में संवैधानिक चेतना का प्रसार हो।


राज्यपाल ने विधानसभा में दोनों सदनों के सदस्यों को अपने संबोधित करते हुए कहा कि संविधान की शक्तियों का स्रोत देश की जनता है इसीलिए प्रस्तावना का प्रारंभ 'हम भारत के लोग...' से होता है।

दूसरों की स्वतंत्रता के प्रति धैर्य और सहिष्णुता रखें
राज्यपाल ने कहा कि मौलिक अधिकारों के साथ ही देश के प्रति अपने कर्तव्यों को कैसे भूल सकते हैं? यदि हम अपनी स्वतंत्रता की इच्छा रखते हैं तो यह भी आवश्यक है कि हम दूसरों की स्वतंत्रता के प्रति धैर्य और सहिष्णुता का भाव रखें। यह सबका परम कर्तव्य है कि वह राष्ट्र की दृढ़ता व अखंडता को बनाए रखने में पूर्ण सहयोग प्रदान करे। राष्ट्रप्रेम की यह भावना देश के हर नागरिक में समाहित हो। संविधान, राष्ट्रध्वज व राष्ट्रगान के प्रति कृतज्ञता का भाव रखते हुए पर्यावरण की सुरक्षा करें।

'संविधान के लक्ष्यों पर सरकार'
राज्यपाल ने 17 मिनट के अभिभाषण में मोदी व योगी सरकार की योजनाओं को संविधान के लक्ष्यों के साथ जोड़ा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35ए के विशेष प्राविधानों को जम्मू-कश्मीर से हटाकर एक देश एक विधान का सपना साकार किया है। नीति निदेशक तत्वों के तहत गरिमामयी जीवन प्रदान करने के लिए 25 लाख पीएम आवास, 2.61 करोड़ शौचालय योगी सरकार ने उपलब्ध करवाए हैं। सामाजिक-आर्थिक न्याय की परिकल्पना को साकार करते हुए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, अवसर की समानता के लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, ओडीओपी जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं।