डीएचएफएल केस: योगी सरकार का ऐक्शन, दो पूर्व अधिकारी अरेस्ट, सीबीआई को सौंपी गई जांच

  बिजली विभाग के 45 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई डीएचएफएल में फंसी
इस मामले में मुख्यमंत्री योगी ने की सख्त कार्रवाई, दो पूर्व अधिकारी किए गए गिरफ्तार
मुख्यमंत्री योगी ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के अनुरोध पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की सख्त कार्रवाई
लखनऊ
बिजली विभाग के 45,000 से ज्यादा कर्मचारियों के जीपीएफ और सीपीएफ खातों में जमा 2,268 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (डीएचएफएल ) में फंस गई है। इस मामले में उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर एंप्लॉइज ट्रस्ट और उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता और पूर्व में निदेशक वित्त रहे सुधांशु द्विवेदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हुए दोनों अधिकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। पूरे मामले में गंभीरता बरतते हुए सीएम योगी ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है। सीबीआई द्वारा इस मामले में चार्ज लेने तक इस प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध शाखा के डीजी द्वारा की जाएगी।


*ऐसे खुला मामला*
10 जुलाई को एक गुमनाम शिकायत आने पर कारपोरेशन अध्यक्ष ने 12 जुलाई को जांच समिति गठित की थी। 29 अगस्त को आई जांच रिपोर्ट में पता चला कि बड़े पैमाने पर अनियमितता करते हुए ट्रस्ट ने 99 फीसद से अधिक निधि का निवेश केवल तीन हाउसिंग फाइनेंस कंपनी में कर रखा था, जिसमें 65 फीसद से अधिक हिस्सा दीवान हाउसिंग फाइनेंस में था। खास बात यह कि गैर सरकारी कंपनी में निवेश करने के संबंध में तत्कालीन निदेशक वित्त व सचिव ट्रस्ट ने अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक का अनुमोदन नहीं लिया जबकि पूर्व में तत्कालीन प्रबंध निदेशक एपी मिश्र ने पीएनबी हाउसिंग में निवेश करने का फैसला किया था। नियमों के तहत प्रतिभूति में निवेश किया जाना था लेकिन, भविष्य निधि की रकम फिक्स्ड डिपॉजिट में लगा दी गई। जांच के लिए यह मामला पावर कारपोरेशन के सतर्कता विंग को एक अक्टूबर को सौंपा गया था।
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एफडी के रूप में किया गया था निवेश'
गिरफ्तारियों के बाद सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि दिसंबर 2016 में ट्रस्ट के सचिव महाप्रबंधक प्रवीण कुमार गुप्ता के प्रस्ताव पर तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और तत्कालीन प्रबंध निदेशक एपी मिश्रा द्वारा मंजूरी के बाद जीपीएफ और सीपीएफ धनराशि को पीएनबी हाउसिंग की सावधि जमा में निवेश किया जाना शुरू किया गया। यही नहीं, इसके बाद तत्कालीन सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता और तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी ने 2017 से बिना प्रबंध निदेशक/अध्यक्ष के संज्ञान में लाए जीपीएफ व सीपीएफ धनराशि को दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड नामक निजी संस्था में एफडी के रूप में निवेश शुरू किया।
यह है मामला
साल 2014 में यह निर्णय लिया गया था कि उन कंपनियों में ट्रस्ट के पैसे का निवेश किया जाए, जहां से ज्यादा ब्याज मिले। इसके बाद दिसंबर, 2016 से हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों में निवेश शुरू किया गया। पावर कॉर्पोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मार्च, 2017 में पावर सेक्टर एंप्लॉइज ट्रस्ट ने करीब 4,121 करोड़ रुपये का निवेश डीएचएफएल में किया।


   यह निवेश दो एफडी के रूप में किया गया। एक एफडी एक साल के लिए और दूसरी एफडी तीन साल के लिए करवाई गई। एक साल की एफडी में करीब 1,854 करोड़ और तीन साल की एफडी में करीब 2,268 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। एक साल की एफडी दिसंबर, 2018 में मेच्योर हो गई, जिसका पैसा ट्रस्ट के पास वापस आ गया। वहीं, तीन साल की एफडी मार्च, 2020 में पूरी होगी। अब यही पैसा कंपनी में फंस गया है, क्योंकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने कई संदिग्ध कंपनियों और सौदों से जुड़ा होने की सूचना के मद्देनजर डीएचएफएल के भुगतान पर रोक लगा दी है। अब यही डर है कि कहीं कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई फंस न जाए।
ऊर्जा मंत्री के अनुरोध पर हुई कार्रवाई
योगी सरकार में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मुख्यमंत्री से मिलकर सीबीआई जांच के लिए उन्हें पत्र दिया था। साथ ही श्रीकांत शर्मा ने कहा था कि सीबीआई द्वारा मामले की जांच शुरू होने तक उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। ऊर्जा मंत्री के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने यह कार्रवाई की है।
'पावर कॉर्पोरेशन वापस करेगा कर्मचारियों का पैसा'
उधर, प्रमुख सचिव (ऊर्जा) आलोक कुमार ने भरोसा दिया है कि कर्मचारियों का पैसा पूरी तरह से सुरक्षित है। डीएचएफएल में जमा पैसा निकालने के लिए हर तरीके से प्रयास किया जा रहा है। यदि किसी तरह का रिस्क हुआ तो पावर कॉर्पोरेशन कर्मचारियों का पैसा वापस करेगा। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया है कि अब कर्मचारियों के जीपीएफ और सीपीएफ का पैसा ईपीएफओ के जरिए सुरक्षित किया जाएगा।
ईडी कर रही है जांच
डीएचएफएल के प्रमोटर्स के खिलाफ ईडी दाऊद इब्राहिम के करीबी इकबाल मिर्ची की रियल एस्टेट कंपनी को 2,100 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन दिए जाने की जांच कर रहा है। ईडी की टीम इस मामले में डीएचएफएल के प्रमोटर्स से पूछताछ भी कर चुका है। मामला सामने आने के बाद अब अभियंता संघ के महासचिव राजीव सिंह ने पावर कॉर्पोरेशन चेयरमैन को चिट्ठी लिखकर पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठाई है।
श्वेतपत्र जारी करे पावर कॉर्पोरेशन
बिजली विभाग के मौजूदा और रिटायर्ड कर्मचारियों के संगठन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के शैलेंद्र दुबे ने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ट्रस्ट में जमा धनराशि और उसके निवेश पर तत्काल श्वेतपत्र जारी करे। इससे यह पता चल सके कि कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई कहां-कहां निवेश की गई है। वहीं, यह मांग की गई है कि अब सरकार यह सुनिश्चित करे कि एक विवादास्पद कंपनी में जमा की गई हजारों कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई वापस लाए।
ट्रस्ट में जमा हैं करोड़ों रुपये
पावर कॉर्पोरेशन में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों के करोड़ों रुपये पावर सेक्टर एंप्लॉइज ट्रस्ट में जमा हैं। बिजली विभाग में कई ऐसे अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिन्होंने पूरी नौकरी के दौरान एक बार भी जीपीएफ या सीपीएफ की रकम नहीं निकाली। हर महीने कर्मचारियों की बेसिक सैलरी की कम से कम 20% रकम इस खाते में जमा होती है। कर्मचारी अपने रिटायरमेंट या जरूरत पड़ने पर इसका कुछ अंश निकाल सकते हैं। शनिवार को पूरे दिन शक्ति भवन में इसी मामले की चर्चा रही।