तुलसी कोई वानस्पतिक पौधा नही इसमे साक्षात लक्ष्मी का वास है-मीनू गोयल उज्वल भारत मिशन

ॐ तुलसी माता नमः
 हमारे भारतवर्ष में तुलसी को वनस्पति या पौधा नहीं माना जाता । इसमें मां लक्ष्मी का वास माना जाता है और इसे तुलसी मां कहकर संबोधित किया जाता है।


  हमारी संस्कृति और मान्यताओं के अनुसार हर सनातनी हिंदू के घर में तुलसी मां का होना अनिवार्य है हमारे शास्त्रों में    प्रात कालीन व संध्या कालीन तुलसी वंदना को महत्वपूर्ण बताया गया है शास्त्रों की माने तो जहां तुलसी मां लहराती तथा खिल खिलाती है वहां कभी अकाल मृत्यु दुख दर्द मानसिक रोग नहीं आते जहां पर भी तुलसी मां होंगी वहां वास्तु दोष भी नहीं होंगे ।


   तुलसी मां के महत्व को वैज्ञानिकों ने भी माना है उनका कहना है कि तुलसी माता सर्वश्रेष्ठ वनस्पति है इनमें ऐसा गुण है जो आसपास के वातावरण को स्वच्छ व शुद्ध रखता है तथा तथा तुलसी का सेवन अनेक बीमारियों जैसे सर्दी खांसी जुखाम अस्थमा एलर्जी वह हृदय रोगों मैं भी बहुत लाभ पहुंचाता है इसीलिए वैज्ञानिकों ने से सर्वश्रेष्ठ औषधि वाली वनस्पति माना है।


  वहीं दूसरी ओर हमारे धार्मिक ग्रंथों मैं कहां गया है की तुलसा जी के अंदर देवताओं का वास माना जाता है   उसके पास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए तुलसा जी के पास जूते चप्पल ले जाने से उनका अपमान होता है ध्यान रखें हमारे टूटे हुए बाल भी उन के पास एकत्र ना हो वहां किसी प्रकार का कचरा ना जमा हो ।और हम लोग तुलसा जी को जो चुनरी उड़ाते हैं। वह भी स्वच्छ हो अक्सर देखा गया है की चुनरी उड़ा कर महिलाएं भूल जाती हैं वह गंदी और फट भी जाती है लेकिन उसे बदला नहीं जाता एकादशी अष्टमी नवमी शुभ दिन देखकर तुलसी मां की चुनरी को बदलना चाहिए व ध्यान रखना चाहिए तुलसी मां के पास कोई भी लोहे की  नुकीली चीज ना हो।


  प्राय घरों में आंगन में तुलसा जी होती है और महिलाएं वहीं पर वस्त्र सुखाती है ध्यान रखें कि वस्त्रों की छाया भी तुलसी के ऊपर नहीं होनी चाहिए हर स्त्री को सुबह शाम तुलसा मां की वंदना करनी चाहिए तथा घी का दीपक जलाना चाहिए शाम के समय तुलसा जी के पास जल भरकर ना रखें इससे घर में नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं ।


  तुलसा जी की सेवा वंदना करने से हमें धन धन की प्राप्ति होती है समाज में हमारा वैभव होता है तुलसा मां के महत्व को हम इस बात से भी समझ सकते हैं कि इनके  बिना छप्पन भोग भी अधूरे हैं भगवान जी का प्रसाद तुलसी पत्र से ही पूर्ण माना जाता है तथा वातावरण को शुद्ध व स्वच्छ बनाने में भी तुलसा माता का बहुत योगदान है जहां तुलसा मां होती हैं ।


   वहां आस-पास बीमारियां व बुरी शक्तियों का प्रवेश नहीं होता अतः वातावरण जितना स्वच्छ होगा स्वास्थ्य भी उतना ही अच्छा होगा और स्वस्थ समाज ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण करता है  ।