मृतक का पंजीकरण हुआ, लेकिन मेडिकल फर्जी है : बोले सीएमएस

*जिला अस्पताल जौनपुर :मृतक का पंजीकरण हुआ, लेकिन मेडिकल फर्जी है : बोले सीएमएस
     जौनपुर। जौनपुर स्थित अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय में मृतक का मेडिकल प्रमाण पत्र बनाए जाने के मामले का खुलासा होने के बाद पूरे मामले की लीपापोती में स्वास्थ्य महकमा जुट गया है। 
  स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रजिस्टर में मृतक के नाम से मेडिकल प्रमाण पत्र जारी होने का कोई जिक्र नहीं है। अलबत्ता पंजीकरण की पर्ची जरूर बनी है। 
   उधर डीएम ने सीएमएस से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है। जिसके जवाब में सीएमएस ने लिखित रूप से अपने हस्ताक्षर से इंकार कर दिया है। इससे तो यही सिद्ध होता है कि जिला अस्पताल में दलालों का वर्चस्व रहा है। इसमें कहीं न कहीं अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भूमिका भी लिप्त है। 
 तीन सितंबर को एक दैनिक अखबार के पत्रकार जिला अस्पताल पहुंचे जहां उसने पंजीकरण एक रूपए देकर मुकेश राजभर निवासी मनिया गोविंदपुर गौराबादशाहपुर नाम से कराकर प्रमाण पत्र बनाने वाले के पास पहुंचा जहां लिपिक ने कहा कि जिसका मेडिकल बनाना है वह कहां है, पत्रकार ने कहा कि वह नहीं है और नहीं आ सकता है तो फिर लिपिक ने कहा कि तो फिर मुश्किल है। दलाल की तरफ इशारा करके पत्रकार को उसके पास भेजा। जहां दलाल किनारे ले जाकर बोला कि थोड़ी देर बाद आइएगा। आधे घंटे बाद ही दलाल ने मेडिकल दिलवाया। लेकिन मेडिकल को अस्पताल प्रशासन फर्जी बता रहा है। 
 प्रश्न यह है कि जिला अस्पताल के दलालों के माध्यम से इस खेल में कहीं न कहीं लिप्तता हैं। सीएमएस के हस्ताक्षर से मेडिकल प्रमाण पत्र जारी किया गया है। जिस पर हस्ताक्षर साफ साफ मिल रहा है फिर भी सीएमएस अपने हस्ताक्षर से इनकार कर रहे हैं।
सवालों के घेरे में जिला अस्पताल का स्वास्थ्य महकमा
सवाल नं.1. मृतक के मेडिकल प्रमाण पत्र की प्रति सीएमएस को जब मिली ही नहीं तो उन्होंने डीएम को पत्र लिखकर कैसे दावा किया मेरा हस्ताक्षर नहीं है।


सवाल नं 2. मुकेश राजभर के नाम से पर्चा जिला अस्पताल में बना था उसे दलालों ने पैसे लेकर चाहे जैसे ही प्रमाण पत्र बनवाया, बनाया फिर लिपिक के पास प्रमाण कैसे पहुंचा?
 सवााल नं


   3. लिपिक और पत्रकार के बीच बातचीत के दौरान वहां दलाल कैसे कुर्सी पर बैठा था क्या अस्पताल का कोई कर्मचारी था।
 सवाल नं 4. क्या हर रोज 8 से 10 लोगों का मेडिकल प्रमाणपत्र दलाल बना कर दे रहे हैं। अगर हां तो अस्पताल प्रशासन तमाशबीन क्यों बना हुआ है।
जिलाअस्पताल में दलाल शुक्रवार को रहे नदारत
 नहीं दिखा कोई ?
मृतक का शारीरिक परीक्षा प्रमाण पत्र बनाए जाने का खुलासा होने के बाद एक जिले के कई पत्रकार दिनभर जिला अस्पताल का चक्कर काटते रहे। लेकिन प्रमाण पत्र बनवाने वाला दलाल कहीं नहीं दिखा।
 सीएमएस भी राउंड करते देखे गए।
 अस्पताल में हर तरफ इसी बात की चर्चा थी कोई कुछ कह रहा था तो कोई कह रहा था कि दलालों को संरक्षण मिलेगा तो यही सब होगा। अब कोई बच नहीं पाएगा वहीं कुछ लोगों का कहना था कि दलालों से बोल दिया गया है कि फिलहाल यहां न दिखे। अस्पताल में दिखे तो जेल की हवा भी खानी पड़ेगी।
*इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल डॉ अजय कुमार क्या कहते हैं।*
मुकेश राजभर नाम से प्रमाणपत्र बना है लेकिन मेडिकल प्रमाण पत्र बनाए जाने का रजिस्टर में कोई जिक्र नहीं है मेरे हस्ताक्षर से कोई ऐसा प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है कुछ दलालों का गिरोह अस्पताल में अलबत्ता सक्रिय जरूर है कहीं न कहीं उन्होंने ही मेरा फर्जी हस्ताक्षर कर प्रमाण पत्र जारी किया है। हमने डीएम एवं सीएमओ को पत्र लिखित रूप से देकर अवगत कराया है।