जब कोई विद्यार्थी किसी दूसरी भाषा में शिक्षण करता करता है तो उसके ऊपर दो तरीके का भार होता है एक तो भाषा को समझना और दूसरा विषय वस्तु को समझना लेकिन मातृभाषा में शिक्षण करने से हम भाषा के बोझ से बच सकते हैं।"                         -  डॉ के. एन सिंह

"जब कोई विद्यार्थी किसी दूसरी भाषा में शिक्षण करता करता है तो उसके ऊपर दो तरीके का भार होता है एक तो भाषा को समझना और दूसरा विषय वस्तु को समझना लेकिन मातृभाषा में शिक्षण करने से हम भाषा के बोझ से बच सकते हैं।"
                        -  डॉ के. एन सिंह
 (कुलपति राजश्री टंडन मुक्त विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश)


     मा. कुलपति के.एन सिंह जी आज 1 सितंबर 2019 को नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर अखनपुरा रसडा में आयोजित विद्वत गोष्ठी में मातृभाषा में शिक्षण का महत्व विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उपरोक्त बातें कहीं।
     इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय कुलपतिजी, विशिष्ट अतिथि श्रीमान कन्हैया चौबे जी एवं रसड़ा जिले के आदरणीय जिला प्रचारक राजीव नयन जी प्रबंध समिति के सम्मानित सदस्य एवं विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री रमेश राय जी ने दीप प्रज्वलन पुष्पांजलि एवं सरस्वती वंदना के साथ की। 
  
   आदरणीय जिला प्रचारक श्री रामनयन जी ने मातृभाषा के लिए घर से प्रयोग को महत्व देने की बात कही।
कार्यक्रम का संचालन नागेश जी ने किया उक्त अवसर पर विद्यालय के सभी आचार्य एवं आचार्य बहनों की महती सहभागिता रही।