अमित शाह के जिम्मे अब धारा 370, 35A और NRC जैसे बड़े काम, ये हैं प्रमुख चुनौतियां
गृह मंत्री के लिए सबसे पहली चुनौती तो कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की है. इसके अलावा धारा 370, 35ए और एनआरसी जैसे मसलों से निपटने की चुनौती अब अमित शाह के जिम्मे आ गई है.
कश्मीर में आतंक विरोधी अभियानों में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के जवान भी शहीद हुए हैं. साल 2016 में 171 जवान शहीद हुए थे, लेकिन जनवरी 2018 से अब तक यह संख्या 200 से ज्यादा रही है. घाटी में साल 2018 में 244 आतंकी मारे गए थे.
जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर में आतंकवाद से लेकर देश के अंदर नक्सलवाद तक नए गृह मंत्री अमित शाह के सामने कई चुनौतियां खड़ी दिख रही हैं. सबसे पहली चुनौती तो कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की है. पिछले वर्षों में कश्मीर के चुनावों में खूब हिंसा देखी गई है. इसके अलावा धारा 370, 35 ए और एनआरसी जैसे मसलों से निपटने की चुनौती अब अमित शाह के जिम्मे आ गई है.
कश्मीर में पिछले साल नवंबर में विधानसभा भंग कर दी गई थी. इसके बाद से चुनाव आयोग चुनाव कराने के लिए गृह मंत्रालय के संकेत का इंतजार कर रहा है. सुरक्षा कारणों की वजह से ही वहां लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव नहीं हो पाए. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गृह मंत्रालय वहां अमरनाथ यात्रा के बाद यानी अगस्त के बाद चुनाव कराना चाहता है. लेकिन आमतौर पर कश्मीर में अप्रैल से अक्टूबर के बीच हिंसा बढ़ जाती है.
कश्मीर में सरकार की तमाम सख्ती के बावजूद युवाओं में आतंकवादी संगठनों का असर बढ़ता देखा गया है. साल 2018 में 191 युवा आतंकी संगठनों से जुड़े हैं. दूसरी तरफ, सीमा पर तमाम चौकसी के बाद भी पाकिस्तान से होने वाली घुसपैठ में भी कमी नहीं आई है और इसकी घटनाएं बढ़ी हैं.