सहजयोग !जाने क्या है सहजयोग!!

आचार्य रुपाली सक्सेना


🌹 "सहजयोग" 🌹


योग का अर्थ है जोड़ना अर्थात् साधक की वे क्रियाएं जो आत्मा को परमपिता परमात्मा से जोड़ती हैं, योग कहलाता हैं ।


योग दो प्रकार के होते हैं ।
1. सहज योग,
2. हठ योग ।


आज हम सहज योग के बारे में बात करते हैं। धरती पर जो भी सच्चे गुरु, सूफी, संत, पीर- पैगम्बर और अवतार आए उन सब ने परमात्मा प्राप्ति का एकमेव रास्ता 'सहजयोग' ही दुनिया को बताया है ।

सतगुरु कबीर साहेब जी महाराज ने भी सहजयोग का ही वर्णन किया है :


*"तन को जोगी सब करें,*
*मन को करे ना कोय ।*
*सब सिद्धी सहजै पाइये,*
*जो मन जोगी होय"।।*


*अर्थात् :-*
सतगुरु कबीर साहेब जी महाराज सहज योग के द्वारा सभी सिद्धियां पाने की तरफ संकेत देते हुए हमें बता रहे हैं कि अपने तन (शरीर) को हर कोई वेषभूषा के माध्यम से जोगी (फकीर, बाबा) बनाने में लगा हुआ है लेकिन मन को जोगी बनाना हर किसी के वश की बात नहीं है । यदि जो भी कोई मन को जोगी बना लेता है तो उसको सभी सिद्धियां स्वतः ही प्राप्त हो जाएंगी ।


*सहजयोग का हिंदी में अर्थ है :-*
सह = आपके साथ;
ज = जन्मा हुआ;
योग= मिलन या जुड़ना ।


हमारे गुरु द्वारा हमें जो नाम दान (गुरु मंत्र) दिया जाता है और उस नाम (गुरु मंत्र) के सहज/ सरल अभ्यास को ही सहजयोग कहा जाता है अर्थात् शरीर के किसी भी अंग या इंद्री आदि को किसी भी प्रकार का कष्ट पहुंचाए बिना या किसी प्रकार की जबरदस्ती के बिना नाम जाप का अभ्यास किया जाता है, सहजयोग कहलाता है ।


सतगुरु कबीर साहेब जी महाराज ने सहजयोग की विधि के बारे में धनी धर्मदास जी महाराज को बताया है :-


*"कंठ हिले ना होठ हिले,*
*अंग हिले ना कोय ।*
*सहजै सुरति लगी रहे,*
*ऐसा सुमिरन होय" ।।*


सहजयोग इसलिए सहज है। इसके माध्यम से त्रिकास्थि हड्डी में स्थित अवशिष्ट दिव्य ऊर्जा, जागृत और सक्रिय रहती है।सहज योग मन की समस्याओं और शरीर को सुलझाने के लिए सबसे बड़ी कुंजी है।


*सहजयोग के लाभ :-*
१. शोधकर्ताओं के मुताबिक मौन की यह प्रक्रिया कायिक और मानसिक स्वास्थ्य के कई रास्ते खोलती है। सहजयोग के नियमित अभ्यास से कैंसर, ब्लड प्रेशर, हाइपर टेंशन और हृदय के रोगियों को भी लाभ हुआ है।


२. सहजयोग खासकर विद्यार्थियों के लिए तो योग अमृत के समान है। जो विद्यार्थी योग को अपने जीवन में नियमित रूप से शामिल करते हैं वे न केवल पढ़ाई में अव्वल आते रहते हैं, साथ ही अन्य गति-विधियों में भी उनका कोई मुकाबला नहीं रहता।


३. सहजयोग से दिमाग को शक्ति मिलती है। इस सहजयोग से व्यक्ति को आसपास के तनाव, दिनभर की थकान व अपने गुस्से को नियंत्रित करने में आसानी होती है। जिससे नींद में भी सुधार होता है।


४. सहजयोग से लोगों में एकाग्रता बढ़ती है और जो वे जीवन में हासिल करना चाहते है आसानी से कर सकते हैं। इसलिए नियमित रूप से अपनी दिनचर्या में सहज योग को शमिल करें।


५. सहजयोग के नियमित अभ्यास से संचार कौशल में सुधार होता है जिससे आप लोगों से अच्छी तरह से पेश आते हैं। साथ ही दूसरों के साथ बेहतर रिश्ते जोड़ने में मदद मिलती है।


६. सहजयोग से किसी भी तरह की बुरी आदत व लत से जैसे धूम्रपान, मंदिरा आदि का सेवन मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए नुकसानदेह होता है। इन आदतों को छोड़ने के लिए सहजयोग जैसी विधियां ज्यादा कारगर साबित होती हैं।


*"भांग तंबाकू छोतरा,*
*उतर जात प्रभात ।*
*नाम खुमारी नानका,*
*चढ़ि रहे दिन रात"।।*


*अर्थात् :-*
सतगुरु नानक देव जी महाराज अपनी अमृतमयी बाणी द्वारा हमें समझा रहे हैं कि सहजयोग द्वारा नाम का नशा एक बार चढ़ने के बाद दिन रात कभी नहीं उतरता अर्थात् हमेशा चढ़ा ही रहता है, जबकि बाकी सभी सांसारिक नशे जैसे भांग, तंबाकू, सुलफा, शराब आदि का नशा शाम को चढ़ने पर सुबह तक उतर जाता है।


ये सांसारिक सभी नशे क्षणिक हैं और प्रभु नाम का नशा सास्वत है।


७. सहजयोग के माध्यम से जीवात्मा इस सृष्टि के सभी बंधन कारण से विरक्त होकर मोक्ष पद को प्राप्त हो जाती है अर्थात् आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है ।


 


*🙏🏻 परमपिता परमात्मा आप सभी को सुख- समृद्धि, तंदुरुस्ति प्रदान करे 🙏🏻*


_*🌹आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो 🌹*_
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*संग्रहकर्ता एवं लेखक ✍🏻*
*संतों के दास संतदास रत्तेवाल ।*
*संस्थापक : "भारतीय संत समाज"।*
*+91 8685858885*
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*२१.०२.२०१९*