क्या मुसलमानों पर चल पाएगा प्रियंका गांधी का जादू?

   उत्तर प्रदेश में कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पूरी ताकत झोंकने में जुट गई है. इसका नजारा लखनऊ में राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के रोड शो में दिखा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और ज्योतिरादित्य सिंधिया के सहारे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को खड़ा करना चाहते हैं. इसीलिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं. लेकिन असल बात यह है कि कांग्रेस चुनाव से पहले अपनी ताकत दिखा कर उत्तर प्रदेश के मुसलमानों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रही है.



   इस कोशिश में वह कितना कामयाब हो पाएगी इसका आंंकलन करने के लिए हमें उत्तर प्रदेश की राजनीति के कई पहलुओं पर गौर करना होगा. उत्तर प्रदेश मेंं 18.5 फ़ीसदी मुसलमान हैंं. सोलहवीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है. आम तौर पर मुसलमानों का रुझान उस राजनीतिक दल को वोट देना होता है जो बीजेपी को हराने की स्थिति में हो. मौजूदा स्थिति में सपा-बसपा गठबंधन प्रदेश की हर लोकसभा सीट पर बीजेपी के मुकाबले ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है.



    लिहाजा मुस्लिम एकजुट होकर इस गठबंधन की तरफ जाता हुआ दिख रहा है. कांग्रेस की हालत उत्तर प्रदेश में बेहद खराब है पिछले लोकसभा चुनाव में उसे जहां लोक सभा की सिर्फ 2 सीटें अमेठी और रायबरेली मिली थींं. वही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई. कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक दूसरी पार्टियों में चला गया है

 सवर्णों ने बीजेपी की शरण ले ली है तो दलित बीएसपी की तरफ चला गया है. मुसलमान सपा-बसपा में बंट गया है. कांग्रेस की हालत को देखते हुए समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने गठबंधन में शामिल करना मुनासिब नहीं समझा. ये गठबंधन चुनाव के बाद कांग्रेस के समर्थन से तीसरे मोर्चे की सरकार बनाने के लिए ख्वाब देख रहा है.

दरअसल कांग्रेस ने सपा बसपा को दबाव में लेने के लिए ही प्रियंका को मैदान में उतारा है. कांग्रेस की रणनीति को राहुल गांधी के एक बयान से समझा जा सकता है. प्रियंका गांधी का महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार देने के ऐलान के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि उन्होंने प्रियंका गांधी को सिर्फ दो चार महीनों के लिए उत्तर प्रदेश नहीं भेजा है बल्कि उत्तर प्रदेश में अगला मुख्यमंत्री कांग्रेस से बनवाने के लिए भेजा है.