जब LoC पार मिराज ने किया हमला तो पहरेदार बना खास विमान, 400 KM दूर से देख लेता है दुश्मन की हरकत

जब मिराज लड़ाकू विमान पाकिस्तानी इलाके में घुसे तो AWACS तकनीक से लैस एक विमान सीमा पार पल पल की हरकत को देख रहा था और मिराज विमानों तक जानकारी पहुंचा रहा था।



भारतीय वायुसेना ने एलओसी पार करके पाकिस्तान इलाके में 1000 किलो बम बरसा दिए। एयरफोर्स के मिराज 2000 लड़ाकू विमान बालाकोट, चकोटी और मुजफ्फराबाद में आतंकी ठिकानों पर कहर बनकर टूट पड़े। इस दौरान जैश-ए-मोहम्मद के अल्फा 3 कंट्रोल रूम सहित कई आतंकियों ठिकानों को तबाह कर दिया गया। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के जवानों की शहादत का बदला लेते हुए किए गए हमले में 200 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की बात सामने आई है। हमले के दौरान भारतीय वायुसेना ने एक फुल प्रूफ प्लान के तहत काम किया।


एयर स्ट्राइक के दौरान वायुसेना का एक पूरा सिस्टम काम कर रहा था। 12 मिराज विमानों ने जब नियंत्रण रेखा पार की तो खास तकनीक से लैस एक विमान उनके लिए दुश्मन के इलाके की निगरानी कर रहा था। इस तकनीक को एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) के नाम से जाना जाता है। तकनीक के तहत एक विमान सुरक्षित दूरी पर उड़ते हुए लड़ाकू विमानों को दुश्मन के इलाके से जुड़ी जानकारी, कमांड और चेतावनी देने का काम करता है।




 



30 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ने में सक्षम यह विमान स्ट्राइक के दौरान मिराज लड़ाकू विमानों से लगातार संपर्क में था और उन्हें निर्देश दे रहा था। यह 400 किलोमीटर की दूरी से ही हवाई गतिविधि को भांपने में सक्षम होता है। रिपोर्ट्स के अनुसार मिराज के हमले के समय पाकिस्तानी वायुसेना की हरकत पर AWACS विमान से नजर रखी जा रही थी। जैसे ही पाक फाइटर जेट्स ने उड़ान भरी मिराज लड़ाकू विमान अपना काम पूरा करके भारतीय सीमा में वापस आ गए।


रिपोर्ट्स के अनुसार हवाई युद्ध में माहिर आधुनिक लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई भी स्ट्राइक के समय नियंत्रण रेखा के पास उड़ रहे थे। मिराज विमानों के लिए परेशानी होने पर वह मदद के लिए पाकिस्तानी इलाके में जा सकते थे। इसके अलावा निगरानी के लिए ड्रोन भी इस्तेमाल किए जा रहे थे। इस तरह पूरी योजना के तहत वायुसेना ने टेरर कैंप पर स्ट्राइक के ऑपरेशन को अंजाम दिया।


AWACS तकनीक- इस तकनीक से लैस विमानों को ट्रैक करना मुश्किल होता है लेकिन इन्हें पल पल की हरकत की जानकारी होती है। इनका इस्तेमाल रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तरह के ऑपरेशन में किया जा सकता है। AWACS तकनीक लड़ाकू विमानों की पहरेदार की तरह है जो उन्हें पल पल की जानकारी देती रहती है।