यात्रा को सफल और लाभदायक बनाता है यह निशान

    जीवन में यात्राओं का योग हस्‍तरेखाओें में देखने को मिलता है। रेखाओं की बनावट यह तय करती है कि व्‍यक्‍ति की यात्रा किस प्रकार की होगी। यानी वह समुद्री यात्रा करेगा या हवाई यात्रा। इन यात्राओं से उसे किस तरह का लाभ होगा या फिर हानि। हस्‍तरेखा विशेषज्ञ पं.अभि भारद्वाज के अनुसार रेखाओं का यह योग यात्राओं के परिणामों का संकेत देता है।


मणिबंध से निकलकर कोई रेखा यदि मंगल पर्वत की ओर जाए तो वह व्यक्ति जीवन में समुद्री विदेश यात्राएं करता है। प्रथम मणिबंध से ऊपर उठकर चंद्र पर्वत पहुंचने वाली रेखाएं सर्वाधिक शुभ मानी जाती हैं। परिणामतः यात्रा सफल और लाभदायक होती है। यदि चंद्र पर्वत से उठने वाली आड़ी रेखाएं चंद्र पर्वत को ही पार करती हुई भाग्य रेखा में मिल जाएं तो दूरस्थ देशों की महत्वपूर्ण व फलदायी यात्राएं होती हैं। यदि किसी जातक के दाहिने हाथ में तो विदेश यात्रा रेखाएं हों और बायें हाथ में रेखाएं न हों अथवा रेखा के प्रारंभ में कोई क्रास या द्वीप हो तो विदेश यात्रा में कोई न कोई बाधा उत्पन्न हो जाएगी अथवा जातक स्वयं ही उत्साहहीन होकर विदेश यात्रा को रद्द कर देगा।


यदि यात्रा रेखाएं टूटी-फूटी अथवा अस्पष्ट हो तो यात्रा का सिर्फ योग ही घटित होकर रह जाता है। प्रत्यक्ष में कोई यात्रा नहीं होगी। यात्रा रेखा पर यदि कोई क्रॉस हो तो यात्रा के दौरान एक्सीडेंट अथवा अन्य किसी दुखद घटना के होने की पूर्ण आशंका रहती है।