दिल्ली सरकार ने एक ऐसी स्कीम लॉन्च की है जिसके तहत दिल्ली की सीमा के भीतर हुए किसी भी रोड एक्सीडेंट्स या बर्न के पीड़ित को मुफ़्त इलाज दिया जाएगा।
नई दिल्ली: अगर आप दिल्ली में हैं तो ये ख़बर आपके काम की है. साल भर में औसतन डेढ़ लाख लोगों की जान रोड एक्सीडेंट्स में जाती है. दिल्ली में हर साल क़रीब 1500 लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में जाती है. लेकिन अब दिल्ली सरकार ने एक योजना शुरु की है.
क्या है नई योजना
दिल्ली सरकार ने एक ऐसी स्कीम लॉन्च की है जिसके तहत दिल्ली की सीमा के भीतर हुए किसी भी रोड एक्सीडेंट्स या बर्न के पीड़ित को मुफ़्त इलाज दिया जाएगा. इस स्कीम में अस्पताल के बिल की न तो कोई ऊपरी सीमा है और न सरकारी अस्पताल की बाध्यता.
दो साल में 3000 लोगों को मिली मदद
दिल्ली सरकार ने एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दिल्ली में ''फ़रिश्ते दिल्ली के'' नाम की स्कीम दो साल पहले लागू की थी. आज इसे स्थाई तौर से लॉन्च कर दिया गया है. पिछले दो साल में इसके तहत तीन हज़ार लोगों को मदद मिल चुकी है.
क्या है उद्देश्य
इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य रोड एक्सीडेंट्स के पीड़ितों को समय पर मुफ़्त इलाज देना है ताकि उनकी जान बचाई जा सके. इसके लिए सबसे पहली ज़रूरत ये होती है कि पीड़ित को तुरंत कोई अस्पताल पहुंचाए.
पुलिस से डरने की ज़रूरत नहीं
पहले लोग पुलिसिया पूछताछ या अस्पताल के ख़र्च से डर कर पीड़ित को अस्पताल नहीं पहुंचाते थे. इसे देखते हुए अब दिल्ली सरकार ने वादा किया है कि दिल्ली में कोई भी व्यक्ति यदि रोड एक्सीडेंट्स या बर्न पीड़ित को निकट के अस्पताल पहुँचता है तो उससे पुलिस कोई पूछताछ नहीं करेगी. इसके अलावा उसे दो हज़ार रूपए ईनाम भी दिया जाएगा और उसे दिल्ली के फ़रिश्ते का एक सर्टिफ़िकेट भी दिया जाएगा.
प्राईवेट और महंगा इलाज भी मुफ़्त
इस स्कीम के तहत हर तरह का और बड़ा से बड़ा इलाज सौ प्रतिशत मुफ़्त दिया जाएगा. अगर पीड़ित को प्राईवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया है तो भी प्राईवेट अस्पताल का पूरा बिल दिल्ली सरकार अदा करेगी. ये बिल कुछ हज़ार का हो या लाखों का, कोई ऊपरी सीमा के बिना पूरा बिल दिल्ली सरकार अदा करेगी.
क्या कहा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने
स्कीम के लॉंचिंग कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, “अस्पताल प्राईवेट हो या बहुत बड़ा हो किसी बात की चिंता नहीं करनी चाहिए. ख़र्च सब दिल्ली सरकार देती है. तीन दिन के भीतर अस्पताल चेंज भी होता है तो एम्बुलेंस सहित सारा ख़र्च दिया जाता है चाहे ख़र्च एक लाख हो या बीस लाख. जो आगे बढ़ कर पीड़ित को अस्पताल पहुँचाता है उससे पुलिस कोई पूछताछ नहीं करेगी, पुलिस से डरने की ज़रूरत नहीं."
जानिए स्कीम लाभार्थी के अनुभव
फ़रिश्ते दिल्ली के स्कीम के लॉन्च कार्यक्रम में ऐसे लोग भी आए थे जिन्होंने रोड एक्सीडेंट्स के पीड़ितों को तुरंत अस्पताल पहुँचाया था. उनके साथ वो पीड़ित भी मौजूद थे जिनका एक्सीडेंट्स हुआ था. इन सबने बताया कि उनके इलाज के लाखों रूपए का अस्पताल का बिल दिल्ली सरकार ने चुकाया. बिल के लिए उनको अपनी जेब से एक पैसा भी ख़र्च नहीं करना पड़ा. दिल्ली के आदर्श नगर में रहने वाले विजय सिंह ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि उनका पिछले साल सितम्बर में बाईक से एक्सीडेंट्स हुआ था. तुरंत ही सुनील कुमार वर्मा नाम के एक व्यक्ति ने फ़रिश्ते की तरह आगे बढ़ कर उन्हें पास के मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया. मैक्स हॉस्पिटल में उनके दोनों हाथ और एक पैर का आपरेशन हुआ. दिल्ली सरकार ने मैक्स अस्पताल के दो लाख बीस हज़ार का बिल ख़ुद अदा किया.