रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। यदि हिंदू धर्मशास्त्रों की मानें तो इस दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। राम के जन्म का पर्व रामनवमी पूरे भारत में काफी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम के भक्त उपवास रखकर उनका गुणगान करते हैं।
रामनवमी के ही दिन 6 अप्रैल से शुरू हुए चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाएगी। राम नवमी के दिन भक्त पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य की प्राप्ति करते हैं। इस पावन अवसर पर रामचरित मानस को पढ़ना बहुत ही शुभकारी माना जाता है। हिन्दू धर्म में रामचरित्र मानस को पवित्र ग्रंथ के रूप में माना गया है और इसे पढ़ना उतना ही पुण्य होता है।
राम नवमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
- नवमी तिथि प्रारंभ: 13 अप्रैल को सूर्योदय 05:43 पर है। अष्टमी प्रातः 08 :19 तक रहेगी।
- नवमी तिथि समाप्त: 14 अप्रैल प्रातः 06:04 बजे तक है।
- शुभ मुहूर्त: 13 अप्रैल को सुबह 11: 56 मिनट से दोपहर 12: 47 मिनट तक।
- पारण तिथि: 9 दिन व्रत रहने वाले 14 को पारण करेंगे।
राम नवमी पूजा विधि
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल पर सभी प्रकार की पूजन सामग्री लेकर बैठ जाएं।
- पूजा की थाली में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य रखें।
- रामलला की मूर्ति को माला और फूल से सजाकर पालने में झूलाएं।
- इसके बाद रामनवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
- इसके साथ ही रामायण का पाठ तथा राम रक्षास्त्रोत का भी पाठ करें।
- भगवान राम को खीर, फल और अन्य प्रसाद चढ़ाएं।
- पूजा के बाद घर की सबसे छोटी कन्या के माथे पर तिलक लगाएं और श्री राम की आरती उतारें।
क्यों मनायी जाती है राम नवमी
पौराणिक कथा के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां थीं। मगर तीनों रानियों में से किसी को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी। तब ऋषि मुनियों से सलाह लेकर राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ से निकली खीर को राजा दशरथ ने अपनी बड़ी रानी कौशल्या को खिलाया। इसके बाद चैत्र शुक्ल नवमी को पुनरसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम का जन्म हुआ। तब से यह तिथि राम नवमी के रूप में मनायी जाती है।